एक मारवाड़ी मोटरसाइकिल से जा रहा था. उसकी मोटरसाइकिल एक आदमी के कुछ ज्यादा ही पास से गुजरी और उसकी धोती थोड़ी फट गई, तो उसने मारवाड़ी का हाथ पकड़ लिया और बोला जाता कहां है मेरी धोती फाड़ के... धोती के पैसे दे.
मारवाड़ी बोला कितने की है...
तो उस आदमी ने जवाब दिया सत्तर रुपए की,
मारवाड़ी ने चुपचाप जेब से सत्तर रुपए निकाले और उस आदमी को दे दिए,
वह आदमी सत्तर रुपए लेकर जाने लगा... अब मारवाड़ी ने उस आदमी का हाथ पकड़ लिया... बोला... जाता कहां है? सत्तर रुपए दिए हैं धोती के, धोती दे...
तब तक वहां पर काफी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी, सभी बोले कि जब उसने धोती के पैसे दे दिए तो धोती हो गई उसकी,दे भाई धोती....
उस आदमी ने कहा धोती दे दूंगा तो भरे बाजार नंगा घर कैसे जाऊंगा?
मारवाड़ी बोला भाई इससे मुझे क्या मतलब... धोती अब मेरी है तू तो धोती दे....
भाई गिड़गिड़ाने पर आ गया और बोला भैया अपने सत्तर रुपए वापस ले ले मैं तो अपनी फटी धोती पहन के ही चला जाऊंगा....
मारवाड़ी बोला ना ...धोती तो अब मेरी हो गई है अब तो मैं इसे 700 में दूंगा....चाहिए तो बोल....
जिसकी धोती फटी थी उसने पूरी भीड़ के सामने अपनी खुद की... सत्तर रुपए की... वह भी अब फटी हुई... धोती के... सात सौ रुपए मारवाड़ी को दिए....
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सबक : मारवाड़ी से धंधा और पंगा संभल के करने का....