Rashtriya Bal Vikas
24/02/2021  :  16:02 HH:MM
हाथ पैर बन जाते पंख
Total View  2191
 
 


बन गए होते हाथ पैर ही,
काश हमारे पंख।

और परों के संग जुड़ जाते,
कम्प्यूटर से अंक।

'एक' बोलने पर हो जाते,
उड़ने को तैयार।

'दो' कहते तो आगे बढ़ते,
अपने पंख पसार।

बढ़ने लगती 'तीन' बोलने,
पर खुद से ही चाल।

'चार' बोलकर- उड़कर नभ में,
करते खूब धमाल।

'पांच' बोलते ही झट से हम,
मुड़ते दाईं ओर।

कहते 'छह' तो तुरत पलटकर,
उड़ते बाईं ओर।
'सात' शब्द के उच्चारण से,
जाते नभ के पार।

'आठ' बोलकर तुरत जोड़ते,
नक्षत्रों से तार।

'नौ' कहने पर चलते वापस,
हम धरती की ओर।

'दस' पर पैर टिका धरती पर,
खूब मचाते शोर।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव|






Enter the following fields. All fields are mandatory:-
Name :  
  
Email :  
  
Comments  
  
Security Key :  
   6495799
 
     
Related Links :-
कैसे हो तुम चंदा मामा हाल पूछने आए हम
गार्ड की नौकरी करता है ये कुत्ता! मालिक के आने पर खोलता है गेट; कॉपी में करवाता है एंट्री; Video देख हुए हैरान
हाथ पैर बन जाते पंख
बाल गीत : असली फूल दिखाओ
बाल कविता : कैसे दिखते गांव
चुटकुला : मारवाड़ी से धंधा और पंगा
चुटकुला : हम दोनों अंधे हैं
 
CopyRight 2016 Rashtriyabalvikas.com