23/02/2021  :  17:13 HH:MM
बाल कविता : कैसे दिखते गांव
Total View  163


काश! अगर मैं चिड़िया होती,
दूर-दूर उड़ जाती।
घूम-घाम कर दूर गगन में,
अपना मन बहलाती।।
ऊपर से कैसी दिखती है,
प्यारी धरती सारी।
कैसे दिखते नदी, झील सब,
खेत, बाग, फुलवारी।।
गहरा सागर, ऊंचे पर्वत,
कैसे दिखते होंगे?
हरियाली के बीच नदी में
धीमे तिरते डूंगे।।
बड़ी इमारत छोटे घर सब,
कैसे दिखते गांव?
खिली-खिली-सी धूप कहीं की,
कहीं की गहरी छांव।।
धीरे-धीरे उड़ती रहती,
हर दिवस हवा के संग।
बड़े मजे से देखा करती,
कुदरत के सारे रंग।।
नहीं चाहिए थी गाड़ी, बस,
और न वायुयान।
उड़ते-उड़ते ही लख लेती,
सारा हिन्दुस्तान।

-डॉ. सुकीर्ति भटनागर






Enter the following fields. All fields are mandatory:-
Name :  
  
Email :  
  
Comments  
  
Security Key :  
   1147158
 
     
Related Links :-
कैसे हो तुम चंदा मामा हाल पूछने आए हम
गार्ड की नौकरी करता है ये कुत्ता! मालिक के आने पर खोलता है गेट; कॉपी में करवाता है एंट्री; Video देख हुए हैरान
हाथ पैर बन जाते पंख
बाल गीत : असली फूल दिखाओ
बाल कविता : कैसे दिखते गांव
चुटकुला : मारवाड़ी से धंधा और पंगा
चुटकुला : हम दोनों अंधे हैं
 
CopyRight 2016 Rashtriyabalvikas.com